नई दिल्ली, 19 जून 2025 – सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। 1 जून 2024 से लागू हुए इन नए नियमों में प्रशिक्षण, टेस्टिंग, शुल्क और दंड को लेकर व्यापक सुधार किए गए हैं, जिससे प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और सुविधाजनक हो गई है।
1. आरटीओ टेस्ट की बाध्यता खत्म
- अब RTO टेस्ट अनिवार्य नहीं: अब आवेदक सरकार से मान्यता प्राप्त निजी ड्राइविंग स्कूलों से टेस्ट देकर लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं।
- प्रमाण पत्र आधारित प्रक्रिया: ड्राइविंग स्कूल से प्रमाण पत्र मिलने पर एक वर्ष तक वैध रहेगा, और इसके आधार पर बिना RTO टेस्ट के ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा।
2. ड्राइविंग स्कूलों के लिए सख्त नियम
- भूमि की अनिवार्यता: ड्राइविंग स्कूलों के पास कम से कम 1 एकड़ (हल्के वाहनों के लिए) और भारी वाहनों के लिए 2 एकड़ भूमि होनी चाहिए।
- प्रशिक्षकों की योग्यता: कम से कम 5 वर्षों का अनुभव, न्यूनतम 10वीं पास और बायोमेट्रिक/आईटी सिस्टम की जानकारी आवश्यक।
- प्रशिक्षण की अवधि:
- हल्के वाहन (LMV): 29 घंटे (21 व्यावहारिक + 8 सैद्धांतिक), 4 सप्ताह में
- भारी वाहन: 38 घंटे, 6 सप्ताह में
- उल्लंघन पर दंड: फर्जी प्रमाण पत्र या बिना उचित प्रशिक्षण के लाइसेंस देने पर ₹5000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
3. शुल्क ढांचा सरल
- लर्निंग लाइसेंस: ₹150–200
- ड्राइविंग टेस्ट: ₹300–400
- स्थायी लाइसेंस: ₹200–500 (वाहन वर्ग के अनुसार)
- अंतरराष्ट्रीय लाइसेंस: ₹1000
- नए वर्ग को जोड़ना: ₹500
4. दंड और सड़क सुरक्षा पर जोर
- बिना लाइसेंस गाड़ी चलाने पर: ₹2000 तक का जुर्माना
- नाबालिग द्वारा वाहन चलाना: ₹25,000 का जुर्माना, साथ ही माता-पिता पर कार्रवाई और वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है। नाबालिग को 25 वर्ष की उम्र तक लाइसेंस नहीं मिलेगा।
- पर्यावरण सुरक्षा: सरकार ने पुराने वाहनों को हटाने और ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) को बढ़ावा देने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
5. आवेदन प्रक्रिया और सरल
- कागजी कार्यवाही कम: दस्तावेज अब वाहन वर्ग के अनुसार सीमित कर दिए गए हैं।
- ऑनलाइन आवेदन: लर्निंग और परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस दोनों के लिए आवेदन परिवहन विभाग की सारथी वेबसाइट
पर ऑनलाइन किया जा सकता है।
हितधारकों की प्रतिक्रिया
समर्थकों का मानना है कि इससे RTO में भीड़ कम होगी और प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
आलोचकों ने चिंता जताई है कि:
- हितों का टकराव: ड्राइविंग स्कूल अगर टेस्ट खुद लेंगे, तो व्यवसायिक लाभ के लिए मानकों में ढिलाई कर सकते हैं।
- गुणवत्ता पर प्रश्न: यदि निगरानी सख्त नहीं रही, तो फर्जी तरीके से लाइसेंस जारी हो सकते हैं।
ज़मीनी स्तर पर क्या हो रहा है?
- ऑटोमैटेड टेस्ट ट्रैक: महाराष्ट्र सरकार ने नागपुर ज़िले में तीन RTO के लिए ₹51 करोड़ का बजट जारी किया है, जहाँ सेंसर और एआई आधारित टेस्टिंग होगी।
- हैदराबाद में नया पायलट प्रोजेक्ट: लर्निंग लाइसेंस के लिए 10 मिनट का सड़क सुरक्षा वीडियो अनिवार्य किया गया है, हालांकि विशेषज्ञ इसे अपर्याप्त मानते हैं और गहन प्रशिक्षण की मांग कर रहे हैं।
आपके लिए इसका क्या मतलब है?
- प्रक्रिया आसान: अब टेस्ट RTO के बजाय निजी स्कूल में दिया जा सकता है।
- उच्च मानकों की उम्मीद: केवल योग्य स्कूलों को ही मान्यता दी जाएगी।
- दंड कड़े: नियमों का उल्लंघन करने पर बड़ा जुर्माना।
- पर्यावरणीय लाभ: पुराने वाहन हटाए जाएंगे, जिससे ईवी का मार्ग प्रशस्त होगा।
निष्कर्ष
सरकार की यह पहल लाइसेंस प्रणाली को पारदर्शी, सुरक्षित और आधुनिक बनाने की दिशा में अहम कदम है। हालांकि, यह तभी सफल होगी जब उचित निगरानी और नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
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