लखनऊ, 19 जून 2025 – उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) के पास एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें राज्य में घरेलू बिजली दरों में 30% तक की बढ़ोतरी का सुझाव दिया गया है। शहरी क्षेत्रों में यह बढ़ोतरी 35–40% और ग्रामीण क्षेत्रों में 40–45% तक हो सकती है।
क्या
है प्रस्ताव?
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टैरिफ में बढ़ोतरी: औसतन 30% की
बढ़ोतरी प्रस्तावित है, हालांकि शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं
पर इसका असर अलग-अलग होगा।
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नए कनेक्शन पर शुल्क: नए बिजली कनेक्शनों
के शुल्क में 25–30% की
वृद्धि प्रस्तावित।
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राजस्व घाटा: UPPCL ने वर्ष 2025–26 के
लिए ₹19,644 करोड़ के
घाटे की बात कही
है।
उपभोक्ताओं
और विपक्ष की प्रतिक्रिया
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राज्य उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव
का विरोध करते हुए कहा है कि बिजली
कंपनियों के पास ₹33,122
करोड़
का अधिशेष (सरप्लस) है और टैरिफ
में 4% की
कटौती
होनी चाहिए।
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राजनीतिक प्रतिक्रिया: समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश
यादव ने प्रस्ताव को
“जनविरोधी” बताया। उन्होंने कहा कि बिजली की
कीमतों में बढ़ोतरी उद्योग और निवेश को
प्रभावित करेगी और भाजपा सरकार
को बुनियादी ढांचे की उपेक्षा करने
का आरोप भी लगाया।
अब
क्यों बढ़ाई जा रही है
बिजली दर?
पिछले
पांच वर्षों से बिजली दरों
में कोई वृद्धि नहीं की गई थी।
इस अवधि में UPPCL की लागत बढ़ती
रही, जिससे राजस्व और खर्च में
भारी अंतर आ गया। अब
कंपनी इस घाटे को
पाटने के लिए दरें
बढ़ाने की कोशिश कर
रही है।
आगे
क्या?
UPERC ने
इस प्रस्ताव पर जनता
की आपत्तियां आमंत्रित की हैं और 7 जुलाई
से सार्वजनिक सुनवाई शुरू होगी। अंतिम निर्णय उपभोक्ता प्रभाव, कंपनी की आर्थिक स्थिति
और भविष्य की योजना को
ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा।
क्षेत्रीय
तुलना
दिल्ली
में उपभोक्ताओं को भारी सब्सिडी
और स्लैब आधारित दरों का लाभ मिल
रहा है, जबकि नोएडा और गाजियाबाद के
उपभोक्ता फ्यूल
सरचार्ज
और अन्य शुल्कों के कारण कहीं
अधिक भुगतान कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
यह
प्रस्ताव उत्तर प्रदेश के इतिहास में
सबसे बड़ी बिजली दर वृद्धि में
से एक हो सकता
है। जैसे-जैसे जनता की चिंता और
राजनीतिक दबाव बढ़ रहा है, UPERC की जुलाई में
होने वाली सुनवाई इस प्रस्ताव के
भविष्य और करोड़ों उपभोक्ताओं
पर पड़ने वाले प्रभाव को तय करेगी।
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