तारीख: 20 जून, 2025
लेखक: सूत्रसाथी न्यूज़ डेस्क
तेल अवीव/तेहरान/न्यूयॉर्क – इज़राइल और ईरान के बीच तेज़ी से बढ़ते सैन्य संघर्ष ने पूरी दुनिया को एक बड़े वैश्विक संकट की ओर धकेल दिया है, जिससे तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बेहद गंभीर हो गई है। ड्रोन हमलों और साइबर हमलों से शुरू हुआ यह टकराव अब सीधे युद्ध में तब्दील हो चुका है, जिसमें क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियाँ भी शामिल होने लगी हैं।
संघर्ष का क्रम: छाया युद्ध से प्रत्यक्ष युद्ध तक
इस संकट की शुरुआत उस समय हुई जब इज़राइल द्वारा ईरान के इस्फहान स्थित एक प्रमुख सैन्य अड्डे पर जानलेवा ड्रोन हमला किया गया। इसके जवाब में ईरान ने तेल अवीव और हाइफ़ा समेत कई इज़राइली शहरों पर लंबी दूरी के मिसाइल हमले किए, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई और इज़राइली रक्षा बलों को आपात कार्रवाई करनी पड़ी।
वर्षों से इज़राइल और ईरान के बीच प्रॉक्सी युद्ध चल रहा था, लेकिन अब यह टकराव प्रत्यक्ष राज्य युद्ध में बदल चुका है।
परमाणु खतरे और लाल रेखाएं
स्थिति उस वक्त और गंभीर हो गई जब ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड ने अपने परमाणु विकल्पों को सक्रिय करने की चेतावनी दी। जवाब में इज़राइल ने भी अपनी परमाणु प्रतिरोध क्षमताओं को तैयार रखने का संकेत दिया, जिससे दुनिया पर परमाणु युद्ध का खतरा मंडराने लगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बिना किसी सहमति के समाप्त हो गई, क्योंकि अमेरिका और रूस ने एक-दूसरे के खिलाफ वीटो का प्रयोग किया।
वैश्विक शक्तियों की भागीदारी: पक्ष बनते जा रहे हैं स्पष्ट
- अमेरिका: राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इज़राइल को “अटूट समर्थन” देने की बात कही और अतिरिक्त विमानवाहक पोत और मिसाइल डिफेंस सिस्टम पूर्वी भूमध्यसागर में तैनात किए हैं।
- रूस: मास्को ने इज़राइल के हमले की निंदा की और इसे “आक्रामकता की कार्रवाई” कहा। सीरिया में मौजूद रूसी बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
- चीन: बीजिंग ने संयम बरतने की अपील की, लेकिन पश्चिमी देशों को “उकसाने वाले” करार देते हुए ईरान का परोक्ष समर्थन किया।
- नाटो: आपात बैठक में नाटो बलों को सतर्क कर दिया गया, जबकि ब्रिटेन और फ्रांस जैसे सदस्य देशों ने तत्काल युद्धविराम की मांग की।
मध्य पूर्व जल रहा है
लेबनान, सीरिया और इराक में भी युद्ध की लपटें फैल गई हैं। ईरान समर्थित मिलिशिया समूहों ने इज़राइल और अमेरिका के ठिकानों पर हमले शुरू कर दिए हैं। हिज़्बुल्लाह ने दक्षिण लेबनान से सैकड़ों रॉकेट इज़राइल की ओर दागे हैं, जिससे एक और मोर्चा खुल गया है। कच्चे तेल की कीमतें $200 प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं, जिससे वैश्विक आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।
आम नागरिकों पर कहर
हज़ारों लोग इज़राइल और ईरान के प्रमुख शहरों से पलायन कर रहे हैं। अस्पतालों में भीड़ बढ़ गई है और बुनियादी ढांचा तहस-नहस हो चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस हालात को “विनाशकारी और तेज़ी से बिगड़ता हुआ” बताया है।
क्या तीसरा विश्व युद्ध अब टाला नहीं जा सकता?
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही कोई कूटनीतिक समाधान नहीं निकला, तो एक छोटी सी चूक पूरी दुनिया को युद्ध में झोंक सकती है। परमाणु हथियारों की संभावित सक्रियता ने हालात को और भी भयावह बना दिया है।
वैश्विक प्रतिक्रियाएं:
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस: “यह मानवता के लिए सबसे खतरनाक क्षण है। सभी देशों को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।”
- पोप फ्रांसिस: “दुनिया विनाश की कगार पर है। हमें नफरत को मानवता का अंत नहीं बनने देना चाहिए।”
- प्रदर्शन: लंदन, नई दिल्ली और न्यूयॉर्क समेत कई शहरों में युद्ध विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। लाखों लोग युद्धविराम की मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
जैसे-जैसे इज़राइल और ईरान के बीच युद्ध अपने चरम की ओर बढ़ रहा है, तीसरे विश्व युद्ध का खतरा पूरे विश्व पर मंडरा रहा है। आने वाले कुछ दिन यह तय करेंगे कि यह टकराव सीमित रहेगा या पूरी दुनिया को एक और महायुद्ध में झोंक देगा।
सूत्रसाथी न्यूज़ इस संकट की हर पल की अपडेट देता रहेगा।
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