रिपोर्टर: सूत्रसाथी न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: किसी भी विमान दुर्घटना के बाद सबसे अहम सवाल होता है – पीड़ितों और उनके परिवारों को मुआवज़ा कैसे और कितना मिलेगा? यह प्रक्रिया बेहद जटिल होती है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कानून, बीमा नीतियाँ और एयरलाइनों की जिम्मेदारी शामिल होती है।
कानून क्या कहता है?
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत, जो भारत सहित कई देशों द्वारा मान्य है, विमान कंपनियाँ प्रत्येक यात्री के लिए 113,100
स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (लगभग ₹1.25 करोड़) तक की राशि के लिए सीधी जिम्मेदार होती हैं — इसमें गलती साबित करने की आवश्यकता नहीं होती। यदि नुकसान इससे अधिक हो, तो एयरलाइन को दोषी सिद्ध किए बिना भी मुआवज़ा देना पड़ सकता है।
भारत में घरेलू उड़ानों के लिए एयर कैरिज अधिनियम, 1972 लागू होता है, जिसमें मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के प्रावधान शामिल किए गए हैं। यह सुनिश्चित करता है कि पीड़ित परिवारों को समय पर मुआवज़ा मिले, चाहे दोष सिद्ध हो या नहीं।
एक्स ग्रेशिया भुगतान और बीमा कवरेज
एयरलाइंस आमतौर पर एक्स ग्रेशिया (स्वैच्छिक) भुगतान देती हैं, जो कि घटना के कुछ दिनों के भीतर दी जाती है। यह राशि आमतौर पर ₹5 लाख से ₹20 लाख तक होती है। यह भुगतान सहानुभूति स्वरूप होता है और कानूनी जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करता।
बड़ी एयरलाइनों के पास ऐसी दुर्घटनाओं के लिए बीमा कवर होता है, जो यात्रियों, तीसरे पक्ष के नुकसान और कानूनी शुल्कों को कवर करता है। हालांकि, मुआवज़ा राशि और पात्रता को लेकर कई बार विवाद हो सकते हैं, खासकर जब एयरलाइन की लापरवाही सामने आती है।
किन बातों पर निर्भर करता है मुआवज़ा
मुआवज़े की राशि कई बातों पर निर्भर करती है:
- मृतक की उम्र और पेशा (भविष्य की आय की संभावना)
- निर्भर परिवारजनों की संख्या
- यात्री का यात्रा बीमा होना या न होना
- दुर्घटना का कारण (जैसे पायलट की गलती, तकनीकी खराबी, मौसम)
अगर यह साबित हो जाए कि एयरलाइन ने गंभीर लापरवाही की है, तो अदालतें अतिरिक्त हर्जाना भी दे सकती हैं।
पिछले मामले और उदाहरण
2010 में एयर इंडिया एक्सप्रेस मंगलुरु दुर्घटना में पीड़ित परिवारों को ₹75 लाख तक मुआवज़ा मिला था। वहीं, 2020 की कोझिकोड एयर इंडिया एक्सप्रेस दुर्घटना में भी वयस्कों के लिए ₹10 लाख, नाबालिगों के लिए ₹5 लाख और घायलों के लिए ₹2 लाख की एक्स ग्रेशिया राशि दी गई थी। कई मामलों में बाद में अदालत के माध्यम से अतिरिक्त मुआवज़ा भी मिला।
कानूनी रास्ते भी खुले हैं
अगर परिवारों को लगे कि उन्हें कम मुआवज़ा मिला है, तो वे दीवानी अदालतों या उपभोक्ता फोरम में केस कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों में कुछ बार विमान निर्माता कंपनियों या अन्य देशों में एयरलाइनों पर भी मुकदमे दायर किए गए हैं।
निष्कर्ष:
हालाँकि किसी की जान की भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन उचित और समय पर मुआवज़ा पीड़ित परिवारों के लिए एक राहत जरूर देता है। सरकार, एयरलाइंस और न्यायालय इस दिशा में लगातार प्रयासरत हैं कि पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय और सहायता मिले।
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